जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से जुड़े ममता बनर्जी के बयान ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में बवाल ला दिया है, 5-प्वाइंट में जानिए पूरा मामला
5-Points Analysis, Row in Andhra Pradesh over Pegasus : चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) देश के उन चुनिंदा शासन-प्रमुखों/राजनेताओं में शुमार होते हैं, जो तकनीक के इस्तेमाल में माहिर हैं. संयुक्त आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को टेक-सिटी के तौर पर ख्याति उन्हीं के कार्यकाल में मिली थी. तब वे पहली बार (1995-2004) आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना अलग राज्य की तरह अस्तित्त्व में आए. तब भी 2014 से 2019 तक चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर राजधानी अमरावती को आकार देने में उन्नत तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया था.
अमरावती. आंध्र प्रदेश की राजनीति (Andhra Pradesh Politics) में इन दिनों उबाल आया हुआ है. वजह है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) का एक बयान, जो उन्होंने विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) के संबंध में दिया था. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में बजट (Budget) पर हुई चर्चा के दौरान कहा था कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने अपने कार्यकाल में पेगासस की सेवाएं ली थीं. इस बारे में उन्हें जानकारी है. इसके बाद चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस (YSRC) आमने-सामने है. साथ में यह सवाल भी सामने आया है कि क्या राज्य सरकारें भी पेगासस खरीद सकती हैं? इस बारे में और जानने की कोशिश करते हैं, 5-प्वाइंट (5-Points Analysis) में.
आंध्र प्रदेश सरकार ने मामले की जांच कराने का फैसला किया
ममता बनर्जी का बयान सामने आने के बाद आंध्र प्रदेश में स्वाभाविक तौर पर वाईएसआरसी (YSRC) को एक मुद्दा मिल गया. इसके जरिए उसने विपक्षी टीडीपी (TDP) पर दबाव बनाने की कोशिश भी शुरू कर दी है. खबरें हैं कि वाईएसआरसी के प्रमुख और मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी (Andhra Pradesh CM Jagan Mohan Reddy) ने मामले की जांच कराने के लिए विधानसभा की समिति बनाने का फैसला किया है. यह देखेगी कि चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की सरकार ने पूर्व में पेगासस (Pegasus) की सेवाएं ली या नहीं. अगर लीं तो इस जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए किन-किन लोगों की निजता, गोपनीयता को भंग किया गया. जासूसी कराई गई.
टीडीपी ने ही नहीं पूर्व पुलिस अधिकारियों ने भी खारिज किया दावा
टीडीपी (TDP) का तो स्वाभाविक है. उसने ममता बनर्जी का दावा सिरे से खारिज किया है. उसकी ओर से अधिकृत तौर पर जारी बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार जिससे चाहे जांच करा ले, उसे कोई ऐतराज नहीं है. फिर चाहे वह विधानसभा की समिति हो या न्यायिक आयोग. उसके साथ ही राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (EX DGP) गौतम सवांग ने भी स्पष्ट किया है कि चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) के मुख्यमंत्री रहते ऐसे कोई सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा गया. नायडू के कार्यकाल में ही राज्य पुलिस की खुफिया विभाग (Intelligence Unit) के प्रमुख रहे पूर्व महानिदेशक एबी वेंकटेश्वर राव ने भी कहा, 'अप्रैल-2019 तक तो मैं ही खुफिया इकाई का प्रमुख था. तब तक तो कोई जासूसी सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा गया. लेकिन मई-2019 के बाद अगर ऐसा कोई सॉफ्टवेयर खरीदा गया हो, तो उसका जवाब मौजूदा सरकार ही दे सकती है.'
दुनियाभर में करीब 50,000 लोगों की पेगासस के जरिए जासूसी
पेगासस (Pegasus) इजराइल की कंपनी एनएसओ (NSO Group) ने बनाया है. यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसकी लिंक किसी भी एंड्रॉइड फोन आदि पर मैसेज की शक्ल में भेजी जा सकती है. इसके बाद वह उस फोन से होने वाली सभी गतिविधियों की पल-पल की जानकारी उस तक पहुंचती है, जो पेगासस को हैंडल कर रहा होता है. इस बारे में एनएसओ का स्पष्ट कहना है कि वह अपना सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती है. ताकि वे सभी तरह की संदिग्ध गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रख सकें. साथ ही समय रहते उन पर कार्रवाई कर सकें. इस सॉफ्टवेयर के पहले संस्करण के बारे में 2016 में पता चला था. लेकिन यह सुर्खियों में जुलाई 2021 में आया, जब भारत में इसके इस्तेमाल के बारे में खुलासा हुआ. तब पता चला कि पूरी दुनिया में विभिन्न सरकारें इसके जरिए करीब 50,000 लोगों की जासूसी करा रही हैं. इनमें भारत सरकार भी शामिल है.
भारत में 300 से अधिक लोगों की जासूसी, केंद्र सरकार का खंडन नहीं
बीते साल भारत में पेगासस (Pegasus) के जरिए करीब 300 लोगों की जासूसी कराए जाने की खबरें आई थीं. इनमें राजनेता, केंद्र-राज्य के अफसर, अदालतों के जज, पत्रकार, कारोबार, सामाजिक कार्यकर्ता आदि तमाम लोग शामिल बताए गए थे. केंद्र सरकार ने पहले तो इस तरह की जासूसी कराए जाने से साफ इंकार किया था. लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहुंचा तो उसने चुप्पी साध ली. अब तक भारत सरकार (Indian Govt) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में न तो खंडन किया गया है और न ही इसकी पुष्टि की गई है कि उसने पेगासस की सेवाएं ली हैं नहीं.
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